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एकाग्रता के रहस्य

जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग 90 प्रतिशत विद्यार्थी पूर्ण एकाग्रता से एक घंटा भी नहीं पढ़ सकते। मन भागता है, विचलित होता है और दिवास्वप्न देखने लगता है। इसके बुरे परिणाम न सिर्फ परीक्षा में बल्कि आपकी निजी जिंदगी में भी देखने को मिलते हैं। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हमारी किसी भी विषय पर एकाग्रता होने की शक्ति कमजोर है। एकाग्रता हमारी वह शक्ति है जो शव को शिव बना सकती है, परंतु इसकी कमी से हमारी समस्त प्रतिभा शून्य हो जाती है।

एकाग्रता को बहुत गहराई से समझने की आवश्यकता है। हम लोग एकाग्रता को ध्यान करने की शक्ति, स्मरण शक्ति या किसी बात को समझने की शक्ति से जोड़कर देखते है। लेकिन एकाग्रता ध्यान नहीं है, मेमोरी नहीं है। एकाग्रता योग-ध्यान का आरंभ बिंदु है। एकाग्रता से ही स्मरण शक्ति का या ऐसा कहें कि मस्तिष्क की समस्त ऊर्जा का उचित प्रयोग हो पाता है।


एकाग्रता के संबंध में स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं- Concentrated mind is the lamp that shows us every corner of the soul. अर्थात जब आपका मन एकाग्र होगा तब ही स्वयं के अंदर छिपे गुणों को देखकर दुनिया को देख पाएँगे। स्वामी जी का कथन है- "Concentration of the powers of the mind is our only instrument to help us see GOD" अर्थात एकाग्रता की विलक्षणता अपरा को देखने में सहायक होती है। इसी एकाग्रता के द्वारा व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति संकल्पबद्ध होकर स्वच्छ विचारों के साथ आगे बढ़ते हैं।