यौन शोषण : बचाव
यौन शोषण की समस्या इतनी भयावह है कि पीड़ित व्यक्ति को तो शारीरिक मानसिक आघात देती ही है, साथ ही पढ़ने-सुनने वालों को भी द्रवित कर देती है। समाज, पुलिस, कानून व्यवस्था, सरकार सब अपने-अपने तरीकों से इस अपराध को रोकने का प्रयास कर ही रहे हैं पर अधिकांशतः ये प्रयास या तो घटना घटित होने के बाद काम आते हैं (वह भी कितना, यह हम सब जानते हैं) या थोड़ा बहुत महिलाओं में जागरूकता फैलाने में, पर ठोस उपाय क्या हो जिससे हम अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो सकें, यह किसी को नहीं पता।
हमारे प्रो. पवन सिन्हा 'गुरुजी' ने इस लेख में अपनी शोध पर आधारित ऐसे अचूक उपाय बताए हैं जो हमारे नन्हे-मुन्नों की कवच के समान रक्षा करेंगे। इसी मंगल कामना के साथ की देश का हर बच्चा हर जगह वैसा ही सुरक्षित रहे जैसे मां के आंचल में, पढ़िए गुरुजी का यह विलक्षण लेख…
कमजोर व्यक्ति सदा से ही शक्तिशाली व्यक्ति के शोषण का शिकार होता आ रहा है। विशेषकर जब शक्तिशाली व्यक्ति के यौन संतुष्टि की बात आती है तो वह समाज के कमजोर वर्ग का शोषण अपनी वासना से करने का प्रयास करता है। यद्यपि ऐसा नहीं है कि प्राचीनकाल में ऐसा न होता रहा हो परंतु आधुनिक समाज में ऐसा होना आम बात हो गई है। पहले यह बात अधिकतर स्त्रियों तक सीमित थी परंतु अब बच्चों या बच्चियों के साथ भी यौन शोषण बढ़ता चला जा रहा है। इसके निम्नलिखित कारण है-
1. पुरुष की बढ़ती हुई काम इच्छाएं
2. असमय भोजन जो व्यक्ति के अंदर काम इच्छाएं बढ़ा रहा है।
3. फिल्म, टी.वी. तथा अख़बारों के माध्यम से अपरिपक्व तथा कामी पुरुष में काम विषयक रुचि तेजी से उत्पन्न हो रही है। इसी के चलते व्यक्ति अपराध भी कर बैठता है।
4. बच्चों को निशाना बनाना ऐसे कामी पुरुषों के लिए काफी सुविधाजनक होता है क्योंकि बच्चे इस अनाचार को समझ नहीं पाते, सहम जाते हैं और अपनी शिकायत नहीं दर्ज़ करा पाते हैं।
5. छोटे बच्चे-बच्चियां विकृत मानसिकता को समझ नहीं पाते अतः वह आसानी से यौन शोषण का शिकार हो जाते हैं।
जो लोग शोषण करते हैं तथा जिनका शोषण होता है, उनकी कुण्डली में ग्रहयोग बड़े स्पष्ट होते हैं। उनके हाथ पर भी कुछ ऐसे चिन्ह उपस्थित रहते हैं जिनको पहचान कर आप सतर्क हो सकते हैं। शोषण जहां होता है वहां यही देखा गया है कि अधिकतर मामलों में कोई ऐसा व्यक्ति शोषण कर रहा होता है जिस पर विश्वास होता है और जिसके प्रति हम सामान्यतः सतर्क भी नहीं होते हैं। अतः लोगों को अच्छे से समझे व अपने घर के बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण को रोक सकें-
1. जिस बच्चे का मुख्य ग्रह (लग्नेश) अस्त हो, वक्री हो तथा शत्रु नक्षत्र में हो तो ऐसे बच्चे के बचपन से ही शोषित होने के अनेक योग बनते हैं। विशेषकर यदि उसका मुख्य ग्रह शुक्र है। अर्थात् यदि किसी बच्चे का वृषभ अथवा तुला लग्न हो, शुक्र पुनर्वसु नक्षत्र में हो, वक्री हो, अस्त हो अथवा यह हस्त नक्षत्र में हो तो ऐसे बच्चों के पीड़ित होने के योग प्रबल होते हैं।
2. यदि किसी बच्चे का शुक्र तथा मंगल बहुत कम अंशों की दूरी पर हो (5 अंश से कम दूरी पर हो) अर्थात् शुक्र 20 अंश पर हो तथा मंगल 15 अंश से 25 अंश के बीच हो तो ऐसा योग बनता है। ऐसे बच्चों का चौदह वर्ष तक बहुत ध्यान रखने की आवश्यकता है। ऐसे में बच्चों को किसी अजनवी के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
3. यदि किसी बच्चे के लग्न में शनि, राहु तथा शुक्र हो तो ऐसा बच्चा कभी न कभी काम विकार वाले पुरुष से अवश्य पीड़ित होता है। यदि उसकी ग्रह दशाएं अथवा गोचर उत्तम चल रही हो तो हादसा होने से बच जाता है।
4. यदि किसी बच्चे के नवमांश में शनि तथा राहु साथ हों तो ऐसे बच्चे के माता-पिता को बहुत सावधान रहना चाहिए। यदि कोई बच्चा ऐसे समय में जन्म लेता है जब उसके सप्तम भाव में राहु, मंगल साथ हों तो भी उसके माता-पिता को बहुत सावधानी रखने की आवश्यकता है, विशेषकर यदि नवमांश के सप्तम भाव में कोई क्रूर ग्रह हो अथवा बच्चे का लग्नेश नवमांश में पीड़ित हो
5. यदि किसी बच्चे के छठें तथा 12वें भाव में राहु, केतु, शुक्र, मंगल किसी भी रूप में विराजमान हों तो ऐसे बच्चे के इर्द-गिर्द हमेशा परिवारजन को रहना चाहिए।
6. यदि किसी बच्चे का चंद्र और शुक्र दूसरे अथवा अष्टम भाव में हो तो ऐसे बच्चे को गंभीर रूप से सताए जाने का भय होता है। ऐसे बच्चे के साथ हमेशा किसी को ज़रूर रहना चाहिए। यह योग तब और भी प्रबल हो जाता है जब मंगल, चंद्र, शुक्र नीच होकर पहले, तीसरे, छठे, आठवें व ग्यारहवें भाव में हो। यह योग बचपन में बीमार रहने के तथा यौन पीड़ित होने के भी होते हैं।
7. जिन बच्चों के बचपन में चंद्र, मंगल और शुक्र की दशा से गुजरना पड़ रहा हो तो उनके माता-पिता को सावधान रहना चाहिए।
8. जिस बच्चे की कुण्डली में शुक्र दोष होता है उनका बचपन में यौन शोषण हो सकता है अर्थात् जिसका शुक्र वक्री हो या फिर वक्री मंगल, वक्री बुध, वक्री बृहस्पति अथवा राहु के साथ हो तो ऐसे बच्चों को निकटतम रिश्तेदारों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
यूं तो शोषण से बचने का सर्वोत्तम तरीका सभी को पता है फिर भी यदि कुछ उपाय किए जाए तो ईश्वर कृपा से संकट अवश्य टाला जा सकता है।
1. उपरोक्त ग्रह योग वाले बच्चों को हनुमत रक्षा कवच प्राण प्रतिष्ठित करके पहनाया जाना चाहिए। इसे ताम्र धातु (तांबे) पर बनवाकर प्राण-प्रतिष्ठित करना चाहिए। प्राण-प्रतिष्ठित करने का मंत्र -
ॐ हं हनुमंताए नमः
इसे (तांबे को) गंगाजल तथा कच्चे दूध से धोकर शुद्ध कर लें तदुपरांत उपरोक्त मंत्र का न्यूनतम 1008 बार जप करके प्राण-प्रतिष्ठित कर लें। प्राण-प्रतिष्ठित करने के पश्चात् मंगलवार के दिन सूर्योदय के एक घंटे के भीतर बच्चे के गले में इस रक्षा कवच को पहना दिया जाए। बच्चे को सुरक्षित करने के लिए यह अत्यधिक फलदायक सिद्ध होता है।
2. जिन बच्चों के जन्मांक में उपरोक्त योगों में से कोई योग हो, वे एक अन्य अचूक उपाय कर सकते हैं। माँ बगलामुखी का मंत्र लिखने के लिए अनार की कलम बनाएं, इस कलम को अष्टगंध की स्याही में डुबोकर भोजपत्र पर लिखें। उस भोजपत्र को पीले कपड़े में ताबीज के रूप में लपेट कर शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार को सूर्यास्त के बाद साढ़े आठ बजे से ग्यारह बजे के मध्य बच्चे के गले में पहनाएं। माँ बगलामुखी बच्चे की रक्षा अवश्य करेंगी। माँ बगलामुखी मंत्र -
ॐ हिरलिंग बगलामुखी सर्व दुष्टानाम् वाचम् मुखम् पदम् स्तम्य जिह्वा कीलय बुद्धि विनाशाय हिरलिंग ॐ स्वाहा ।।
3. बच्चे के गले में सूर्य यंत्र प्राण-प्रतिष्ठित करके पहनाने से भी बच्चे के यौन शोषण के योग कट जाते हैं।
4. ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे वा दुर्गे दुर्गे रक्षिणी स्वाहा। इस मंत्र का 1008 बार हवन करके जो धूनी तैयार होगी उसे किसी पैकेट में भरकर बच्चे के गले में लाल कपड़े में बांधकर पहना दें। ऐसा शुक्ल पक्ष की अष्टमी को करना होगा। इस हवन में एक विशिष्ट समिधा का प्रयोग करके ही धूनी तैयार की जानी चाहिए। विशिष्ट समिधा इस प्रकार है-
समिधा सामग्री- इस यज्ञ की समिधा बनाने में 100 ग्राम सर्पगंध, 100 ग्राम अश्वगंध, 100 ग्राम जटामासी, 100 ग्राम गुग्गल, 100-100 ग्राम अगर व तगर, सफेद चंदन, लाल चंदन, कपूर कुश तथा 50 ग्राम लौंग तथा पान के पांच पत्ते का प्रयोग किया जाता है।
समस्त शत्रुओं से पार पाने के लिए यह धूनी विलक्षण कार्य करती है। इस हवन के दौरान साधक को अपने आप को माँ दुर्गा को पूर्णतया समर्पित कर देना चाहिए तथा साधना के दौरान एकाग्रता में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। इस यज्ञ का समय ब्रह्म मुहूर्त में होता है।
5. यदि बच्चा बाहर पढ़ने जा रहा हो तो धूनी को बच्चे के साथ अवश्य भेज दें। यदि बच्चा बड़ा हो तो बच्चे को बोलें के इसका तिलक प्रात: और संध्या मस्तक पर अवश्य किया करें।
6. जिन बच्चों की कुंडली में उपरोक्त में से कोई भी योग हो उन्हें दुर्गा कवच का पाठ बहुत लाभ देता है।
7. यौन शोषण के योग वाली कुण्डली में राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना बेहद कारगर उपाय है।
8. जिन कुण्डलियों में इस प्रकार के योग हों उन्हें सहजनी के पेड़ की जड़ को दुर्गासप्तशती के 108 पाठों के से सिद्ध करके लाल धागे में शुक्रवार को गले में पहना देना चाहिए।
ऊपर बताए सभी योग तथा उनके उपाय सत्य हैं। अतः इनको गंभीरता से लेना चाहिए। साथ ही साथ उनसे बचने के लिए सतर्कता भी परम आवश्यक है। कुछ व्यावहारिक बातों का भी ध्यान रखें और भी अच्छा होगा-
1. बच्चे को अजनवी व्यक्तियों के साथ अकेले नजदीकियां न बढ़ाने दें। ऐसे में बच्चे के साथ स्वयं भी सदैव रहें।
2. बच्चे के संपर्क में आने वाले सभी पुरुषों पर भी पैनी नजर रखें तथा बच्चों को समय-समय पर उनकी उम्र के अनुसार प्यार से ऐसे खतरों के बारे में बताते भी रहें।
3. जब भी बच्चा बाहर से घर आए अथवा नौकर-चाकर आदि से संपर्क के बाद आए तो उससे उसके हाल-चाल अवश्य पूछिए, जैसे सब ठीक रहा? कैसा - रहा आज का दिन ? क्या क्या हुआ आज? सभी ने कैसा व्यवहार किया ? आदि ।
4. बच्चे के शरीर की भी नियमित रूप से जांच करते रहना चाहिए।
योग हैं तो परिणाम भी होंगे परंतु यदि हम सतर्क रहते हैं और उपाय करते हैं साथ ही ईश्वर का सान्निध्य भी प्राप्त करते हैं तो सब स्थितियां ठीक हो जाती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
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